Thursday, December 2, 2010

उल्लुओं की एक प्रजाति आदमजात मे भी पायी जाती है ।इसके नमूने बिजली विभाग मे ज्यादा दिखायी देते है ।फर्क सिर्फ इतना है कि बिजली रात को नही दिखती उल्लू दिन को नही देखते ।अगर आपके घर रातों को बिजली नही हो तो आप पूरी दुनिया को उल्लुओं की तरह देख सकते है ।उल्लू महान पक्षी है ।इसकी पीठ पर लक्स्मी विबिजली विभाग की मेहरवानीराजती है ।पता नही इसे राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा क्यो नही मिला ।बिजली विभाग आपकी भी पीठ पर विराज सकती है
पंचायतों के चुनाव का अंतिम मुकाम अभी एक माह दूर है
,शर्त यह है कि रात को आप भी अन्धेरे मे रहिये ।मै पिछले दस दिनो से अन्धेरे मे रहकर अपनी पीठपर लक्ष्मी जी के अवतरण का इंतजार कर रहा हू।विश्वास है आज कल वह जरूर मेरी पीठ को यह सौभाग्य प्राप्त करने का अवसर देंगे ।बिजली विभाग की मेहरवानी बनी रहनी चाहिये ।आप भी यह अवसर चाह्ते है तो बिजली विभाग को शुक्रिया अदा करिये आप उन्हे फोन करिये और कहिये कि आप पर बिजली विभाग की मेहरवानी कबतक बनी रहने वाली है ।उनका उत्तर होगा हम देखते है और आप देखते रहिये ।वह रोशनी से देखेंगे और आप उन्हे अन्धेरे से देखिये ।अन्धेरे मे देखना उल्लुओं का काम है उन्हे ऐसे उल्लू देखना पसन्द है इसलिये वह हमे रोजरोज उल्लू बना रहे है ।उल्लू बनना और बनाना साधारण काम नही है ।यह काम बिजली विभाग ही कर सकता है ।जब आपके सब्र का बान्ध टूटने लगे तो अपना फोन उठाइये और पूछिये ,रजराजेश्वर है? उधर से आवाज आयेगी ,किसी महत्वपूर्ण बैठक मे भाग लेने दिल्ली गये हुए है ।और आप उनकी दिल्ली से वापसी का फराकदिली से इंतजार करते रहिये ।वे कभी राजभवन मे बिजली तार चोरी का बहाना करेंगे,कभी कहेंगे फलाने मंत्री ढिमाके अफसर के घर विभाग की पूरी टीम गयी हुई है और उस पलटन के लौतने के इंतजार मे एक और पूरी रात काट दिजिए ।फिर एक और बहाना सुनने के लिये तैयार रहिये,ब्रेक डाउन हो गया है ।जो मजा उल्लू की पीठ पर लक्ष्मी के पधारने और बिजली के आने के इंतजार मे है वह भला और कहां ।इस इंतजार के बहाने अगर मै सचमुच लक्ष्मी का वाहन बन गया तो मेरा पौ बारह समझिये ।फिर आप यह कहना कि मुझे क्यों नही बताया ,पर अभी से इन चुनावों पर नक्सली धमक पड्नी शुरू हो गयी है। चतरा जिले के लवालोंग प्रखंड की सभी पंचायतों पर नक्सलियों के एक गुट ने अपने झंडे लहरा दिये हैं।इस गुट ने एक फरमान जारी कर आम लोगों को किसी भी पद के लिये परचा दाखिल करने नही दिया । भय इतना कि किसी ने भी नक्सलियोंके इस फरमान के विरूद्ध जाकर न तो जिला या पुलिस प्रशासन से शिकायत करने की हिम्मत जुटायी और न ही उनके विरूद्ध खडा होने का साहस ही दिखाया ।नतीजा यह हुआ कि नक्सलियों को वाकओवर मिल गया।इस तरह प्रखंड की लगभग छह दर्जन सीटों पर नक्सलियों का कब्जा हो गया ।चुनाव अधिकारी ने भी उनके निर्वाचित होने का प्रमाणपत्र जारी कर औपचारिकता का निर्वाह कर दिया ।राज्य के मुख्य सचिव अशोक सिंह की नजर मे इस मर्ज की कोई दवा राज्य सरकार के पास नहीं है ।अर्थात सत्ता बंदूक के बल कैसे हासिल की जा सकती है,लवालोंग के पंचायत चुनाव मे दिख गया है ।इसके कुछ और संस्करण शेष पंचायत चुनावों मे भी दिख जायें तो कोई आश्चर्य नही । सरकार के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा इस मसले को मुख्यसचिव पर टालते हुए जब दिखें तो वस्तुस्थिति आसानी से समझी जा सकती है । चुनाव आयोग भी आखिर क्या करे? जब चुनाव शांतिपुर्ण निपट गया हो और किसी को किसी से कोई शिकायत नही हो तो भला चुनाव आयोग क्या करे?जय हो लोकतंत्र की ।